Saturday, December 6, 2008

Khwaab

कभी जो ख्वाब टूटा तोह मायूस मत होना,

ये टूटेगा , तोह गहरी नींद से जगा देगा।

ये छोटी से शायरी मैंने काफ़ी साल पहले एक अखबार में पढ़ी थी, आज तक नही नही भूल पाया हूँ , शआयर ने सही लिखा है, ख्वाब अगर टूट जाए तोह भूलना अच्छा। और जो ख्वाब टूट जाएँ वो ज़रूर आगे जाके दुःख देंगे। इंसान को चाहिए की वो अपनी शक्ति को पहचाने और ख्वाब को सच करने की कोशिश करे। जो सच नही हो पाते, वो गहरी नींद के ख्वाब होते हैं, जो इंसान को भुलावे में रखते हैं।

ऐसे me vyakti एक दोहरी ज़िन्दगी जीने लग जाता है औरुस के लिए वास्तविकता में आना बहुत मुश्किल हो जाता है। वास्तविकता वैसी नही होती जैसे हमारे ख्वाब। इसीलिए लोग वास्तविकता में जीने से डरते हैं और ये काफ़ी उलझन भरा जीवन बना देता है।

लोग देखते हुए बड़े होते हैं, उनका जीवन सपनो में बीत जाता है। बचपन में मैं एक पायलट बनना चाहता था, थोड़े दिन बाद एक आर्मी ऑफिसर की इच्छा जागृत हुई, फ़िर क्रिकेटर, फ़िर सिंगर , ऐसे मैंने कई सपने देखे। आखरी बार मैंने एक सॉफ्टवेर इंजिनियर बनने का सोचा, और किस्मत से बन भी गया। आज एक साल ek महीने के बाद सोचता हु, थोडी देर और सो के , एक और ख्वाब देखा जाय, क्या होगा वो ख्वाब ये नही जानता , लेकिन मैं इतना जानता हु, की मैं ख्वाब चुन नही सकता। वो तोह बस, आ जाते हैं।

एक चीज़ और याद आती है,

ख्वाब को ख्वाब समझ के ख्वाब की तौहीन न कर,

इस ज़मीन से उठ आसमान को चुने की कोशिश तोह कर।

तोह, जो ख्वाब आते हैं उनको पुरा करने की कोशिश हम कर सकते हैं, पुरा करना न करना इश्वर के हाँथ में है।

आज के लिए इतना ही, अभी बहुत कुछ लिखना बाकी है.

No comments: