आज बहुत ही दुःख और आक्रोश के माहोल में मुझे एक बहुत ही अच्छा स्वर्णिम अवसर मिल गया है, इस अवसर का मैं ज़्यादा से ज़्यादा फायदा कैसे उठाऊ यही सोचते सोचते सारी रात निकल जायेगी शायद। आज मेरा दिन सारे समय यही सोचते हुए निकला की कैसे, कैसे हम एक संयुक्त परिवार से इकहरे परिवार की ओर बढ़ने लगते हैं और हम ख़ुद ही यह समझ नही पाते की क्या सही है क्या ग़लत है। हम ये क्यूँ भूल जाते हैं की राजा कभी बड़ा नही होता उसकी प्रजा बड़ी होती है, उसका राज्य बड़ा होता है, उसकी सोच बड़ी होती है। एक संयुक्त परिवार में बड़े बूढ़े ख़ुद भूके रह कर सबसे छोटे और कमज़ोर बच्चे को खाना खिलाना चाहेंगे बजाये इसके की वो ख़ुद पेट भर के खाए। लेकिन हमें आज इन सब से क्या? हम तोह आज अपना पेट भरना चाहेंगे।
भारत कैसा देश है ये समझने में शायद मेरी ज़िन्दगी निकल जायेगी। शायद कई ज़िन्दगी निकल जायेंगी फ़िर भी नही समझ पाऊंगा लेकिन ये ज़रूर समझ गया हूँ की भारतियों से बड़े भूखे , ज़रूरतमंद, मतलबी, अलाल ओर बेरोजगार लोग दुनिया में नही मिलेंगे। क्यूँ? में ऐसा क्यूँ कह रहा हूँ? बात चुभ गई क्या? आप कहेंगे कि कितने भारतीय अपने भविष्य के लिए घर छोड़ के अपने परिवार के लिए अपने परिवार से दूर रह के गुजर बसर करते हैं, कितनी मेहनत करते हैं, आज भारतियों का नाम दुनिया में मशहूर है कि ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। इनका शुक्रिया अदा कीजिये जनाब, ये वोही जनता है जिसने कितनी बड़ी बड़ी मिसालें कायम कि हैं, और कितनी बड़ी बड़ी हस्तियाँ इनही लोगो में से आज देश का नाम रोशन कर रही है। लेकिन फ़िर भी में यही कहूँगा कि सिर्फ़ उन चंद लोगो के कारण ही आज भारत जिंदा है जो अपने अन्दर भारतीयता को जिंदा रखे हैं। उन ईमानदार और अपने परिवार के लिए चिंतित देश वासियों के लिए मेरे मन में बहुत आदर है क्यूंकि ये वो लोग हैं जो आज घर से निकलते हैं तोह उनके दिमाग में ये मकसद नही होता कि किसी का घर जला के ही आयें। ये वो लोग हैं जो किसी के साथ कुछ बुरा नही करते। जो अपना फायदा सर्वोपरी नही मानते। लेकिन अफ़सोस कि ऐसे लोग अब कम रह गए हैं। ऐसे लोग कम हो रहे हैं क्यूंकि इन्हे कम किया जा रहा है समाज से, भारतीय समाज से। ऐसे ही लोग भारत छोड़ के बाहर जा बसते हैं। क्यूंकि वो लोग घबराते हैं इन संकरी गलियों में कहीं कोई ऐसा व्यक्ति न हो जो उनकी किसी बात का बुरा मान ले और ना जाने किस बात पे मोर्चा बना ले। मैंने अपनी ज़िन्दगी के साल बहुत सारी फ़िल्में देख के गुज़ारे हैं और में ये समझता हु कि शायद कभी कोई न कोई चमत्कार अवश्य होगा जिस से सब कुछ अंत में ठीक हो जाएगा।
हो सकता है कि मेरी ऊपर कही गई बातों से आप तवज्जो नही रखते हैं। हो सकता है कि में ग़लत भी हु। लेकिन इस डेमोक्रेटिक देश में जिसका हम हिस्सा हैं हम सबको अपनी बात रखने का हक है। मुझे भी है। फ़िर भी आप के मन में ज़रा भी शंका है तोह आप मेरे इन् सवालो का जवाब अपने गिरेबान में झांकिए, अगर कल कोई घटिया और गंदे शब्दों वाला भाषण किसी कौम के ख़िलाफ़ दे रहा था तोह उसे क्यूँ नही रोका आपने? आपने उस व्यक्ति के ख़िलाफ़ तोह आवाज़ नही उठायी जिसने उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले भाइयों को दूध वाला , ऑटो वाला कह के संबोधित किया था। आपने उन के ख़िलाफ़ भी आवाज़ नही उठायी जो हिन्दी के पीछे हाँथ धो के पड़ गए हैं । आप उन के ख़िलाफ़ भी आवाज़ नही उठा पाये जिन्होंने आरक्षण के नाम पे राजस्थान में दंगे किए और कई मासूम छात्रों का एक साल बरबाद कर दिया, और ना ही उन लोगो के ख़िलाफ़ जो इंडियन से ऊपर अपने आप को मराठी कहलाना पसंद करते हैं। तोह फ़िर आप को मेरे ख़िलाफ़ कुछ कहने का भी हक नही है। हर कोई अपना स्वार्थ चाहता है। तोह ये मेरा स्वार्थ है कि में यहाँ अपने ब्लॉग के ज़रिये ये जाहिर करू कि यह देश मेरा है, हमारा है, आपका है, हर उस व्यक्ति का है जो यहाँ पैदा हुआ है, जिसके माता पिता में से कोई भी एक यहाँ का है । यह मैंने नही कहा है, ये हमारा संविधान कहता है।
आक्रोश और दुःख, यह दो शब्द एक दुसरे के लिए वजह भी हैं और ये दोनों मेरे अन्दर एक भूचाल सा ला रहे हैं। जब से मैंने होश संभाला है ये भारतीय मुझे एक पल के लिए भी ये नही भूलने देते कि में एक भारतीय हूँ । मेरे अन्दर ये कूट कूट के भर दिया है कि ये भारत है और यहाँ यही सब होगा।
एक बहुत ही अच्छे इंसान कि याद आ रही है मुझे इस समय, जिसने एक देश के बंटवारे को रोकने के लिए अपनी ज़िन्दगी दांव पे लगा दी। सिर्फ़ इसीलिए क्यूंकि दो और इंसान शासन करना चाहते थे। अब एक देश पे दो इंसान तोह शासन नही कर सकते। शासन तोह एक ही करेगा न एक पे। तोह क्यूँ न इसको तोड़ दो। तू अपने घर का राजा में अपने घर का। लेकिन उस एक व्यक्ति का क्या जिसने कभी राजा बन ने के बारे में नही सोचा और जो अनशन कर के लोगो को एक करना चाहता है? उस के बार एम क्यूँ सोचे? क्यूंकि ऐसे लोगो का कोई लक्ष्य नही होता, वो लोग महत्वाकांक्षी नही होते, उनको जीने का कोई हक नही है।
और भारतीय कहलाने का हक तोह सिर्फ़ उनको है जो लोग महत्वाकांक्षी होते हैं । क्यूँ ये शब्द अच्छा है न? महत्वाकांक्षी! एक ही शब्द जो भूखे, मतलबी, अलाल लोगो कि पहचान है। अलाल इसीलिए क्यूंकि सारी ज़िन्दगी लग जाती है मुकाम हासिल करने में, और ये महत्वाकांक्षी लोग, किसी भी ऐसे मेहनती और साधारण इंसान के सपनो के घरोंदे को यूँ कुचल के निकल जाते हैं जैसे उस का कभी वजूद ही नही था . ऐसे लोग अलाल होते हैं जो ख़ुद आगे आगे तोह बढ़ना चाहते हैं, लेकिन किसी और के कंधे पे बैठ के, ये लोग इतने वेह्षी होते हैं की किसी मासूम को कुचलना इनके लिए आम बात है. ऐसे महत्वाकांक्षी लोग ही आगे जाके देश का भविष्य लिखते हैं. जिन्हें हम नेता कहते हैं.
हाँ तोह भाई, आज दिन भर मेरे अन्दर राजा बन ने का भूत सवार रहा, क्यूँ? क्यूँ कि एक गरीब, बेवकूफ लेकिन महत्वाकांक्षी इंसान ने पड़ोस के राज्य में राजा बन ने कि इक्षा जताई (वो अकेला नही था, उस के साथ कुछमहत्वाकांक्षी, दूर दृष्टि और मीठे वचन बोलने वाले लोग भी खड़े हो गए जो उस के फायदे में अपना फायदा देखने लगे ) पर उसकी इक्षा को लोगो ने अनसुना कर दिया। राजा बन ना इतना आसान थोड़े ही है बहुत पापड बेलने पड़ते हैं भाई . इस पर उस इंसान ने एक पुराना मुद्दा हथिया लिया जिसमे आम जनता का भविष्य निर्भर करता है . आम जनता का खैर ख्वाह पैदा हो गया अचानक राज्य में. उसने कहा कि अगर इस राज्य के दो भाग कर दिए जाएँ और लोगो को रोज़गार का झांसा दिया जाए तोह वो लोग मुझे राजा अवश्य बना देंगे. अभी तक कहानी मनोरंजक नही लगती। लेकिन इस कहानी में जबरदस्त मोड़ तब आया जब उस महत्वाकांक्षी इंसान ने आमरण अनशन का रास्ता अपना लिया। क्या विडम्बना है एक वो महान इंसान थे जिन्होंने एक देश को टूटने से बचाया था और एक ये महान महत्वाकांक्षी और गहरी सोच वाले इंसान जो एक राज्य को तोडना चाहते हैं ताकि ये ख़ुद जीत सके। ठीक है भाई, आपने सारे सीधे साधे लोगो को झांसे में ले लिया है अब आप एक हीरो बन ने के लिए तैयार हैं। आखिरकार उनकी गुहार सुनी गई और आश्वासन मिला कि आप का राज्य बन जाएगा। ये ख़बर ऐसे फैली कि लोग पागल हो गए। मै भी हुआ। लेकिन मै ज़रा देर से हुआ क्यूंकि पहले ऐसे १० लोग और पैदा हुए देश के अलग अलग हिस्से में जहाँ वो सभी अपना अपना अलग राज्य चाहते थे। क्यूँ भाई उन लोगो ने क्या बिगाड़ा है जो वो लोग महत्वाकांक्षी नही हो सकते? लोगो ने पदयात्राएं चालु कर दी। किसी ने धरना देना शुरू किया। किसी ने शहर बंद कर दिया तोह किसी ने रास्ता जाम कर दिया। किसी ने ऑफिस के शीशे तोड़े तोह किसी ने भड़काऊ भाषण देना शुरू कर दिया। सभी अपनी अपनी ओर से जीतोड़ मेहनत करने में लगे हुए थे। यही बात मुझे भारतीयों कि सबसे अच्छी लगती है। जहाँ मलाई मिले वहीँ लग जाओ मन से। क्यूंकि देश सेवा करने में या गरीबो कि मदद करने वालो कि न तोह सरकार भला कर पायी है न भगवान् ख़ुद। तोह सारे भारतीय अचानक भारत के न हो कर अपने अपने नए नए राज्यों से हो गए। कोई गोरखालैंड से , कोई तेलंगाना से, कोई बुंदेलखंड, हरित प्रदेश, विदर्भ, सौराष्ट्र, और ना जाने कहां कहां से। हर कोई अचानक ये भूल गया कि वो एक भारतीय है। अरे भाई भारतीय कहलाने में वो मज़ा कहां जो एक बुन्देलखंडी कहलाने में है। कोशिश कर के देखिये, एक दो बार अपने नाम के आगे विदर्भी , या बुन्देलखंडी लगा के। आप को ज़रूर अच्छा लगेगा। क्या पता आप नाम से इतने प्रभावित हो जाएँ कि आप भी कल आन्दोलन ज्वाइन कर ले। क्या बुराई है।
तोह इन सब घटनाओं से रोमांचित मैं अपने नए राज्य के सपने देखने लगा। जहाँ कोई और व्यक्ति न हो, सिर्फ़ मै अकेला, ख़ुद राजा ख़ुद प्रजा, और ख़ुद मैं ही ग्राहक, ख़ुद मैं ही दुकानदार, ख़ुद मैं ही पुलिस और ख़ुद मैं ही रिक्शे वाला, दूधवाला सब कुछ। ठीक है राज्य तोह बन ही जाएगा। उस के लिए करना क्या है एक अनशन ही तोह। लेकिन एक बड़ी समस्या थी, वो ये कि मैं उतना महत्वाकांक्षी नही हु कि इतनी लम्बी अनशन कर लू। कोई बात नही। हम अभी अनशन नही करते। शायद एक दिन भर रास्ता जाम कर के कुछ हो जाए। या अगर मैंने किसी पड़ोसी पे पत्थर फेंके तोह शायद मुझे अलग राज्य ज़रूर दे दिया जाएगा। एक ऐसा राज्य, जहाँ मेरी सरकार कभी न गिरे। जहाँ सडको के लिए मुझे किसी और को दोष न देना पड़े। जहाँ बेरोज़गारी के लिए मुझे किसी पे इलज़ाम नही लगाना पड़े। जहाँ नदिया ही नदिया हो। जहाँ मनोरम दृश्यों से भरे हुए स्थल हो। जहाँ संसार का सारा पैसा हो।
क्यूँ क्या मैं कुछ ज़्यादा मांग रहा हु? यही तोह सारे महत्वकांक्षी लोग चाहते हैं।
काश हम इतनी सी बात समझ पाते :
अपने हिस्से कि कायनात के लिए हमने जंग सारे जहाँ से की,
खुदा भी हमें नही रोक पाया हमारे हिस्से को हासिल करने से,
हम जिस के लिए मर भी गए और मारने के लिए भी तैयार थे,
उस हिस्से को आज यहीं इसी धरती पे छोड़ जाना है।
शायद मैंने बहुत लोगो को अपने शब्दों से नाराज़ किया हो, लेकिन मेरा एकमात्र उद्देश्य सिर्फ़ ये है कि मै अपने दिल का गुबार यहाँ लिख सकू। मेरा कम यहाँ ख़तम नही होता, में अपने परिवार, अपने दोस्तों, अपने बड़ो, अपने रिश्ते दारो और उन सभी लोगो से जिनसे मैं रोज़ मिलता हु ये विनती करूँगा कि ऐसे किसी महत्वाकांक्षी व्यक्ति कि सोच को बल न दे जो आगे जा के आप के घर के कई हिस्से कर दे और आप ठगे से देखते रह जाए।
अगर प्रगति ही हर चीज़ का कारण है तोह हम उन सारे विभाजनो से क्यूँ नही सीख लेते जिनसे आज तक कोई प्रगति नही हुई। उल्टा उनके कारण लाखो करोडो का नुक्सान ही हुआ है। ज्यादा दूर जाने कि ज़रूरत नही है, बिहार से अलग होने वाले झारखण्ड को अपनी संपत्ति पे बड़ा गुमान था, आज भी गुमान होगा लेकिन अपने चीफ मिनिस्टर कि संपत्ति पे जो उन्होंने काले धन के रूप में छुपा रखी थी। छत्तीसगढ़ में आज भी न्याय और शासन कि नाव में छेद देखे जा सकते हैं। उत्तराखंड तोह बेचारा फ़ोकट में बेवकूफ बन गया, उसे आज तक समझ में नही आया होगा कि बार बार नाम बदलने का क्या तुक है। इसी तरह अगर हम तोड़ने में समय बरबाद करते रहेंगे तोह मुझे डर है कि हम कभी विकसित नही हो ।
और हाँ मैं ये बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की हर ज़िन्दगी का मोल होता है, अगर उस आमरण अनशन पे बैठे नेता की ज़िन्दगी का मोल है तोह उस गरीब की भी ज़िन्दगी कम मूल्यवान नही है जिसकी दुकान आनेवाले दंगो में ये उपद्रवी लोग जला देंगे। उसकी रोज़ी रोटी चले या न चले, इन लोगो की महत्वाकांक्षा उस से कहीं ऊपर है, उसे अवश्य पुरा होना चाहिए।
उम्मीद है की जो भी ये ब्लॉग पढ़ेगा कम से कम एक बार अवश्य सोचेगा की देश की एकता क्या मायने रखती है। कल को आप रास्ते पे निकले तोह आप को गर्व होना चाहिए की आप भारतीय हैं, ऐसा भारत बनाने के सपने देखने और उनको पुरा करने की कोशिश करने में कोई बुराई तोह नही है न!
Friday, December 11, 2009
Wednesday, December 2, 2009
Rafta rafta woh meri hasti ka saamaan ho gayey- Great Gazal By Mehndi Hasan with translation
Rafta rafta woh meri hasti ka saamaan ho gayey,
Slowly Slowly, she became the power of my existence
Pehlay jaan, phir jaan-e-jaan, phir jaan-e-jaana ho gayey !
First my life, then the love of my life, then she became the beloved of my life
Din-b-din badti gehin us husn ki raaniyaan,
Day by day, the queens beauty increased
Pehlay Gul, phir gul-badan, phir gul-badamaan ho gayey !
First a rose, then the body of a rose, then she became the greatest rose
Aap to nazdeek say nazdeek-tar aatay gahey,
You became closer and closer to me
Pehlay dil, phir dilruba, phir dil kay mehmaan ho gayey !
First the heart, then the sweetheart, then you became the guest of the heart
Rafta rafta woh meri hasti ka saamaan ho gayey,
Slowly Slowly, she became the power of my existence
Pehlay jaan, phir jaan-e-jaan, phir jaanayjaana ho gayey !
First my life, then the love of my life, then she became the beloved of my life
Pyar jab Hadd se badha saare Taqaloof mith gayey,
When love grew to its limit, all formalities became destroyed
Aaap se phir tum huay phir tu ka Khunwaan hogayey!
From a formal ‘you’ to an informal ‘you’, then ‘you’ became removed
Rafta rafta woh meri hasti ka saamaan ho gayey.....
Slowly Slowly, she became the power of my existence
Slowly Slowly, she became the power of my existence
Pehlay jaan, phir jaan-e-jaan, phir jaan-e-jaana ho gayey !
First my life, then the love of my life, then she became the beloved of my life
Din-b-din badti gehin us husn ki raaniyaan,
Day by day, the queens beauty increased
Pehlay Gul, phir gul-badan, phir gul-badamaan ho gayey !
First a rose, then the body of a rose, then she became the greatest rose
Aap to nazdeek say nazdeek-tar aatay gahey,
You became closer and closer to me
Pehlay dil, phir dilruba, phir dil kay mehmaan ho gayey !
First the heart, then the sweetheart, then you became the guest of the heart
Rafta rafta woh meri hasti ka saamaan ho gayey,
Slowly Slowly, she became the power of my existence
Pehlay jaan, phir jaan-e-jaan, phir jaanayjaana ho gayey !
First my life, then the love of my life, then she became the beloved of my life
Pyar jab Hadd se badha saare Taqaloof mith gayey,
When love grew to its limit, all formalities became destroyed
Aaap se phir tum huay phir tu ka Khunwaan hogayey!
From a formal ‘you’ to an informal ‘you’, then ‘you’ became removed
Rafta rafta woh meri hasti ka saamaan ho gayey.....
Slowly Slowly, she became the power of my existence
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